शनिवार, 16 नवंबर 2024

जमीं पर पाँव ज़माना उन्हें नहीं आता।

 बुरा बक्त किसी का बतलाकर नहीं आता।

किया गया अच्छा बुरा,निष्फल नहीं जाता।।
दूध के फट जाने पर दुखी होते हैं नादान,
शायद उन्हें रसगुल्ला बनाना नहीं आता।
खुदा क्यों देता है खुदाई उनको इतनी सारी,
जिनको अपने सिवा कुछ नजर नहीं आता।।
माना अभी बहारों का असर नही फिजाओं में,
फिर भी उन्हें गुलों से यारी निभाना नहीं आता!
हो सकता है किसीसे गिला शिकवा न कर सको,
किंतु ये गलत है कि जताना भी नहीं आता !!
खुदा की रहमत से बुलंदियों पर मुकाम है उनका
लेकिन जमीं पर पाँव ज़माना उन्हें नहीं आता।
वे क्या खाक बनाएंगे शहीदों के सपनों का भारत
उन्हें तो किसानों के आंसू पोंछना भी नहीं आता।।
श्रीराम तिवारी
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