शनिवार, 13 मई 2017

''नक़्शे पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का ''

''नक़्शे पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का '' पिछली शताब्दी के अंतिम दशक में दुर्गोत्सव के दौरान इंदौर के जेल रोड पर किसी बड़बोले साम्प्रदायिक कवि मुखारविंद से यह तथाकथित 'देशभक्तिपूर्ण' कविता  सुनी थी ! यह कविता खतरनाक संदेश के  उस अर्थ में अव्यवहारिक है कि पाकिस्तान कोई स्लेट पेन्सिल के द्वारा श्यामपट्ट पर लिखा गया कोरा  शब्द मात्र नहीं है ,कि जब चाहा लिख दिया और जब चाहा मिटा दिया। आज हम जिस धरती को  पाकिस्तान कहते हैं अतीत में वह न केवल सिंधु घाटी सभ्यता अपितु ऋग्वेद सहित अधिकाँस वैदिक वाङग्मय के सृजन की पावन धरा रही है ! आज पाकिस्तान का मूल स्वभाव हिंसा आधारति मजहबी कदाचरण भले हो गया है ,किन्तु अतीत में जब वह कुरु -पांचाल था ,प्रागज्योतिषपुर था और सैंधव सभ्यता का केंद्र था, तब सारी दुनिया इस उर्वर शस्य स्यामला भूमि को ललचाई नजरों से देखती थी। आर्यावर्त-जम्बूद्वीप और भरतखण्ड के क्रमिक विकाशवादी दौर में इस भूमि पर ''वसुधैव कुटुंबकम'' और ''ईश्वर: सर्वभूतानाम....... " का भी उद्घोष बहुत काल तक होता रहा है !अब यदि वहां कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों का वर्चस्व है, तो इससे वहाँ की तमाम नदियां,पर्वत और माटी को 'पापी' कैसे माना जा सकता है ?आज के पाकिस्तान में भी कुछ अमनपसंद आवाम और मेहनतकश हैं और सभ्य शहरी लोगों को भारत से कोई दुश्मनी नहीं है। !इसलिए उन मुठ्ठी भर आतंकियों के कारण जो कश्मीर में आग मूत रहे हैं ,पत्थर फनक रहे हैं मारने के लिए यह कहना उचित नहीं कि ''नक़्शे पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का ''!

वेशक पाकिस्तान में छिपे आतंकियों ,पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी सरकार की ओर से भारत के खिलाफ अनेक आपत्तिजनक खुरापातें निरंतर जारी रहती हैं ! लेकिन जब उसका माकूल जबाब हमारी सेनाऐ दे रहीं हैं, तो फिर सो शल मीडिया पर और नेताओं की भाषणबाजी में 'पाकिस्तान को माकूल जबाब देने का विधवा विलाप क्यों ? नेताओं और मंत्रियों को यह कहने की  क्या जरूरत कि 'हमारे शहीद  सैनिकों की कुर्बानी बेकार नहीं जायगी' ? वेशक शहीदों की कुर्बानी अनमोल है,किन्तु दो के बदले दस मार दने से उनकी भरपाई कैसे होगी ?क्या सारी अच्छाइयां भारत में मौजूद हैं? गांधी हत्या से लेकर निर्भया काण्ड तक की तमाम काली करतूतें क्या पाकिस्तान ने कीं हैं? क्या पाकिस्तान में शिया,सूफी और हिन्दू ईसाई नहीं हैं। भले ही वे बहुत कम बचे हैं ,लेकिन जब तह वे वहां हैं ,तब तक पाकिस्तान की बर्बादी के बारे में सोचना ही मूर्खता है !यदि कश्मीर समस्या को व्यवहारिक तरीके से सुलझाया गया होता ,यदि अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान को अपना पिट्ठू न बनाया होता ,तो पाकिस्तान की मजाल नहीं थी किवह भारत की ओर आँख उठाकर देख सके ! वैसे भी भारतीय सनातन धर्म परम्परा और वैदिक मतानुसार जिस परमात्मा ने भारत [इण्डिया] बनाया है ,उसी ने पाकिस्तान का भी निर्माण किया है ,इसलिए धरती के नक्शे पर से उसका नाम मिटाना मनुष्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं है । मार्क्सवाद ,लेनिनवाद और सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद भी किसी राष्ट्र को नष्ट करने के पक्ष में नहीं है। केवल अंध्रराष्ट्रवाद और मजहबी आतंकवाद से ही समस्त धरती को खतरा है।  श्रीराम तिवारी !

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