गुरुवार, 8 सितंबर 2011

वहशी दरिंदो को ईश्वर सद्बुद्धि दे.

     कायरो बुजदिलो नाली के कीड़ो
दिल्ली हाई कोर्ट परिसर में
    निर्दोषों का खून बहाने वाले नराधमो-तुम्हारा
    कोई धरम  कोई मज़हब दर्शन-
  कोई  दीनो-ईमान नहीं होता...
   छुप-छुप कर कभी मुंबई कभी दिल्ली,
 कभी मालेगांव कभी गुजरात में ,
  आम आदमी का रक्त बहाने वालों का
 कोई दीनो ईमान नहीं होता..
आज दिल्ली हाई कोर्ट के परिसर में ,
जिनका रक्त बहा,जिनके अंग-भंग हुए,
जिनके घर का चिराग बुझा ,जिनके
आश्रितों को मुफलिसी लाचारगी का ,
शिकार होना पड़ा उनमें-
हिन्दू -मुस्लिम -सिख सभी थे ,
 सेकड़ों घायलों में इन सभी के मर्मान्तक ,
चीत्कार पर अठ्ठास करने वालो,
तुम्हारी मर्दानगी पर कुत्ते  भी ,
मूतना पसंद नहीं करेंगे.
 तुम नितांत डरपोंक हैवान हो,
 खुदा,अल्लाह,इश्वर,वाहे गुरु,
उसका चाहे जो भी नाम रूप आकार हो,
वो  भले ही तुम्हे भूल जाएया माफ़ कर दे , 
किन्तु  इंसानियत में तुम्हें सिर्फ -धिक्कार है.
धिक्कार है,बारम्बार धिकार है...
मानवता के हत्यारों,बम बारूदसे,
हिंसा रक्तपात और बाद-अमनी से ,
तुम्हें सिर्फ एक चीज हासिल होगी ,
अनंतकाल तक नारकीय वेदना,
 अपने किये हुए अक्षम्य अपराध ,
लिए अपना शेष जीवन मानवता ,की सेवा
में समर्पित करो-इसी में तुम्हारा कल्याण है...
इंसानियत के,अमन के,अक्ल के दुश्मनों को ,
इश्वर,अल्लाह,परवरदिगार सद्बुद्धि दे,
 अमन-शांति-भाईचारा ज़िन्दवाद....
      श्रीराम तिवारी

2 टिप्‍पणियां:

  1. really heart toughing "वहशी दरिंदो को ईश्वर सद्बुद्धि दे."...taki..ho." अमन-शांति-भाईचारा ज़िन्दवाद".....sir iswar aapki pukar ko jarur sune taki hum apni dharti maa ke aanchal me chain ki sans le sake ....

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