खार खुश हाल हों ,गुल्म रोते रहें ,
हमको रोता हुआ न चमन चाहिए ।
प्यार करुना की क्यारी बना बागवां,
बम बारूद का घर नहीं चाहिए ॥
सब्ज पत्तीं भी हों ,लाली पे हो ,
जर्रे -जर्रे शहादत असर चाहिए ।
प्यार करुना की क्यारी बना बागवा ,
बम बारूद का घर नहीं चाहिए ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें