इनका लहू उनका लहू सबका लहू लाल ,
सबका लहू -लहू ,न किसी का लहू पानी है ।
न बिदारो रक्त अपना और अपनों का व्यर्थ ,
सबका लहू -लहू ,न किसी का लहू पानी है ।
न बिदारो रक्त अपना और अपनों का व्यर्थ ,
जिओ और जीने दो यही वेद वाणी है ।।
हिन्दू हो या मुस्लिम -सिख -ईसाई कोई ,
बैर करे आपस में पाप की निशानी है ।
जो करे सियासत मंदिर -मस्जिद के नाम ,
धिक्कार वो जवानी है ॥
मत जगाओ धर्मांध भूतों -गड़े मुर्दों को ,
न छेड़ो उस जगह को जो फसाद की निशानी है ।
न बहाओ रक्त अपना और अपनों का व्यर्थ ,
जिओ और जीने दो यही वेद वाणी है ॥
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मैली हो चुकीं चादरें सभ्यताओं की जहाँ ,
मजहब के नाम बहे खून ज्यों पानी है ।
दांव पर लगाएं क्यों भारत की आन को ,
जहाँ हर मजहब की जिन्दा जवानी है ॥
न लड़ाओ मजूरों -किसानो को आपस में ,
मजहबी अफीम न खानी या खिलानी है ।
गरीबों को मिटाकर न इतरायें अमीर लोग ,
विगरी है अब तक वो बात फिर बनानी है ॥
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जात -धर्म -भाषा का जहर न मिलाओ ,
ये तो नीर छीर निर्मल गंगा का पानी है ।
मजहबों के ठेकेदार स्वप्न में भूलें नहीं ,
जाना खाली हाथ चार दिन की जवानी है ॥
न बहाओ रक्त अपना और अपनों का व्यर्थ ,
जिओ और जीने दो यही वेद वाणी है ।
इनका लहू -उनका लहू सबका लहू लाल ,
सबका लहू -लहू न किसी का लहू पानी है ॥
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shaee kaha
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है मगर ये पंक्तियां विशेष रूप से मन को छू गईं-
जवाब देंहटाएंमैली हो चुकीं चादरें सभ्यताओं की जहाँ ,
मजहब के नाम बहे खून ज्यों पानी है ।
दांव पर लगाएं क्यों भारत की आन को ,
जहाँ हर मजहब की जिन्दा जवानी है ॥
न लड़ाओ मजूरों -किसानो को आपस में ,
मजहबी अफीम न खानी या खिलानी है ।
गरीबों को मिटाकर न इतरायें अमीर लोग ,
विगरी है अब तक वो बात फिर बनानी है
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priy madhvji aap jaldi-jaldi na keval uchai men ,apitu gyan men ,buddhibal men khoob tarkki kren ,ysashvi hon ...
जवाब देंहटाएं******
veena ji aapne meri rachna ko saraha arthat desh ki sarvhara janta ko aapne krantikari shubhkamnayen deen .yh hmare saamne khadi bikral chunoutiyon se sanyukt sanghrsh ke kam aayegi .dhanywad.
aaj ke sandarbh me lekhak ki kavita aur unki vyathit bhavna rashtreey ekta ke maddenajar ek doosre ko pirone(bandhne) ka sandesh sarahneey hai.....Yeshwant Kaushik
जवाब देंहटाएंbehsak madir masjid toro
जवाब देंहटाएंBulley shah ye kehta hai
par pyaar bhara dil kabhi na toro
Jisme dilbar rehta hai