लिबास धर फरीद का
आखर पढ़े तो ढ़ाई पढ़
पौथी को रख परे
कागा न नैन खा सके
चल ये तदबीर कर ।
वारिस, रहीम, बुल्लेशा
अपने क़रीब रख
टूटे न धागा प्यार का
ऐसी नज़ीर कर ।
मीरा, ख़ुसरो, सूर या
रसखान ढ़ूंढ़ रे
हरि हाथ भी मिलेंगे
ज़रा देर धीर धर ।
,रैदास, दादू और भी
बहुतेरे संत हैं
उजाले हमें दिखेंगे
अँंधेरे को चीर कर ।
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