सन् 1893 में आज ही के दिन 'शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन' में स्वामी विवेकानंद ने सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को वैश्विक स्तर पर परिभाषित किया था। स्वामी जी ने हिंदूधर्म का परिचय देते हुए,मूर्ति पूजा से लेकर अद्वैत वेदांत दर्शन की सकारात्मक भूमिका सहित हिंदुत्व के मानवीय पक्ष का अद्भुत निरूपण किया था। स्वामी जी ने सारे संसार को बताया कि एक आस्तिक हिंदू,'असत्य से सत्य की ओर नही जाता,अपितु वह निरंतर निम्नतर सत्य से उच्चतर सत्य की ओर जाता है।उन्होंने बर्बर हिंसक और विस्तारवादी मजहबों को खूब लताड़ा।
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