बुधवार, 16 जुलाई 2014

क्योंकि स्वाभिमान के साथ आपको भी जिन्दा रहना है।




    जब आप बीमार हों ,तो डाक्टर को दिखाइए ,

   क्योंकि डाक्टर को सपरिवार  जिन्दा रहना है।

  डाकटर दवा लिख दे तो मेडिकल स्टोर  जाइए ,

  क्योंकि दवा बिक्रेता को भी  जिन्दा रहना है।।

  दवाएं खरीदकर आप नाली में फेंक दीजिये ,

  क्योंकि  आप को भी  कुछ दिन और  जिन्दा रहना है।


  यदि आप हैरान -परेशान  और मुशीबतजदा  हैं तो ,

 पीरों- पैगंबरों ,संतों -महंतों - मजहबी ठिकानों को  -

 यथाशक्ति दक्षिणा दीजिये - प्रदक्षिणा  भी कीजिये  ,

क्योंकि धर्म-मजहब के ठेकेदारों को जिन्दा रहना है।


  यदि आप वेरोजगार हैं और रोजी -रोटी चाहिए   ,

 यदि आप ईमानदार-मेहनतकश इंसान हैं ,

 यदि आपका ईमान जिन्दा है -आप देशभक्त हैं ,

यदि आपको अवसर  से महरूम किया गया  है ,

यदि आप व्यापम  की बदकारी या मुन्नागिरी से दूर हैं ,

यदि आप बाबू-अफसर-मंत्री को -

रिश्वत देने में असमर्थ  हैं ,

यदि आप साम्प्रदायिकता और कदाचार को-

 राजनैतिक भृष्टाचार को -राष्ट्र का कैंसर समझते हैं ,

तो अपनी संगठित आवाज बुलंद कीजिये -

क्योंकि स्वाभिमान के  साथ आपको भी  जिन्दा रहना है।


  श्रीराम तिवारी 





 

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