जब आप बीमार हों ,तो डाक्टर को दिखाइए ,
क्योंकि डाक्टर को सपरिवार जिन्दा रहना है।
डाकटर दवा लिख दे तो मेडिकल स्टोर जाइए ,
क्योंकि दवा बिक्रेता को भी जिन्दा रहना है।।
दवाएं खरीदकर आप नाली में फेंक दीजिये ,
क्योंकि आप को भी कुछ दिन और जिन्दा रहना है।
यदि आप हैरान -परेशान और मुशीबतजदा हैं तो ,
पीरों- पैगंबरों ,संतों -महंतों - मजहबी ठिकानों को -
यथाशक्ति दक्षिणा दीजिये - प्रदक्षिणा भी कीजिये ,
क्योंकि धर्म-मजहब के ठेकेदारों को जिन्दा रहना है।
यदि आप वेरोजगार हैं और रोजी -रोटी चाहिए ,
यदि आप ईमानदार-मेहनतकश इंसान हैं ,
यदि आपका ईमान जिन्दा है -आप देशभक्त हैं ,
यदि आपको अवसर से महरूम किया गया है ,
यदि आप व्यापम की बदकारी या मुन्नागिरी से दूर हैं ,
यदि आप बाबू-अफसर-मंत्री को -
रिश्वत देने में असमर्थ हैं ,
यदि आप साम्प्रदायिकता और कदाचार को-
राजनैतिक भृष्टाचार को -राष्ट्र का कैंसर समझते हैं ,
तो अपनी संगठित आवाज बुलंद कीजिये -
क्योंकि स्वाभिमान के साथ आपको भी जिन्दा रहना है।
श्रीराम तिवारी
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