पहले द्रुमुक -मुरासोली -दयानिधि- कावेरी और बाद में,
ए राजा ने भृष्टाचार के बीज बोये .
जब मौका मिला तो जय् ललिता की सामंतशाही-
ऐयाशी को लांघकर सत्ता शिखर पर जाकर सोये ..
अब श्रीलंकाई तमिलों पर सिंहली अत्याचारों के बहाने,
कुनवे को बचाने के अपने सपने संजोये .
अब संयुक राष्ट्र मानव अधिकार द्वारा निंदा प्रस्ताव पर,
मगरमच्छ के आंसू करुणा करके करूणानिधि रोये ..
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें