शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

कविता- सारा जहाँ हमारा है....

  [1] डेंगू -मलेरिया-स्वाइन फ्ल्यू का बुखार ,  अस्पतालों में अव्यवस्था वेशुमार!
   महंगी दवाईयाँ, महँगे टेस्ट,महँगी  फीस, आम आदमी होता इलाज़ को लाचार!!
   निजी अस्पतालों में निर्धन का प्रवेश निषेध,सरकारी क्षेत्र  में लुटेरों की भरमार !
   पानी सर से ऊपर  गुजरने लगा,फिर भी लोगों को है किसी नायक का इंतज़ार!!
   लोग पूजा घरों में करते रहते  हैं बेसब्री से ,    कि प्रभु कब लोगे कल्कि अवतार !
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 [ 2] यत्र-तत्र-सर्वत्र हो रहा निरंतर धुंआधार, दृश्य-श्रव्य-पाठ्य मीडिया में प्रचार !
 कि  हो रहा भारत निर्माण , भारत के इस निर्माण में मेरा भी हक़ है यार!!
 विकाश की गंगा बह रही  उल्टी आज,श्रम के सागर से समृद्धि के शिखर पार!
  क्रांति  की चिंगारी बुझने  को है ,पतंगों को पता नहीं किसका है इंतज़ार!!
  देशी मर्ज़ विदेशी इलाज़ ;उधार का हलुआ , वतन को अब मंज़ूर नहीं सरकार!
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[3]    जात -पांत ,भाषा-मजहब के झगड़ों से, अपना वतन बचाना  साथी!
    समाजवाद,प्रजातंत्र,धर्मनिरपेक्षता,के   नाना  दीप  जलाना  साथी!!
    मिल जाए  आवश्यक  श्रम- फल ,रोजी-रोटी संसाधन जीवन का साथी!
    बोलो बच्चो चीख-चीख कर,  'सारे जहां से अच्छा' हिन्दोस्तान हमारा  है !!
   वर्ना नंगे  भूँखों  को तो 'सारा जहां हमारा है !

  [4] दुनिया भर के महाठगों ने नव -उदार चोला पहना!
 पहले गैरों ने लतियाया अब अपनों का क्या कहना!!
भूल हमारी हम पर भारी,शोषण को सहते रहना!
मीरजाफरों जयचंदों को हमने दिया सहारा है!!
देश हमारा नीति  विदेशी ,निजीकरण का नारा!
 वर्ना नंगे भूँखों  को तो सारा जहां हमारा है !!
सबको शिक्षा सबको काम' काम के  बदले  पूरे दाम!
मिलता रहे मजूरों को उनकी क्षमता से नित काम !1
यही तमन्ना भगत सिंह की यही पैगाम हमारा है!
 वर्ना नंगे भूंखे को तो 'सारा जहां हमारा है'!!
   
                                                                     श्रीराम तिवारी









  

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