लगातार तीसरी बार वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर कामरेड ह्यूगो शावेज और वेनेज़ुएला के तमाम क्रांतिकारी मतदाताओं का क्रांतिकारी अभिवादन .अभिनंदन।। शानदार- इंकलाबी- एकजुटता का वैश्विक समर्थन।।।
जो लोग वैश्विक राजनैतिक,सामाजिक,आर्थिक और भौगोलिक अज्ञानता के शिकार हैं उन्हें यदि ये नहीं मालूम कि वेनेजुएला कहाँ है? ह्यूगो शावेज कौन हैं?समाजवादी व्यवस्था क्या है? तो उनका इसमें कोई कसूर नहीं, हर किसी को हरेक चीज की जानकारी हो ये जरुरी नहीं, किन्तु यदि एक जीवंत राष्ट्र के रूप में अमेरिकन साम्राज्य की नाक के सामने पूंजीवादी विश्व विनाशक नीतियों के सामने कोई जन-कल्याणकारी समतामूलक वैकल्पिक व्यवस्था प्रस्तुत करने वाला हो और सारे संसार में उसकी चर्चा हो किन्तु भारतीय मीडिया में उसे चार पंक्तियाँ भी नसीब न हों तो दो ही कारण समझे जा सकते हैं।एक-यह कि सूचना उपलब्ध नहीं दो-की भारत का मीडिया अमेरिकी सूचनाओं की खुरचन पर जिन्दा है।
मैं जिस शहर में रहता हूँ वहां आधा दर्जन राष्ट्रीय एक दर्जन आंचलिक और सेकड़ों नगरीय समाचार पत्र ,टीवी चेनल्स और सूचना संसाधन उपलब्ध हैं ,देश के महानगरों से प्रदेश के राजधानियों से देश की राजधानी से निकलने वाले अखवारों ,टीवी चेनलों और रेडिओ संचार माध्यमों में भी वो सब कुछ है जो या तो सबको पहले से ही मालूम है [इन्टरनेट,मोबाइल एस एम् एस इत्यादि से] या जो जनता के लिए नितांत अनचाहे परोसा जाने वाला पत्नोंमुखी पूंजीवादी वासी दुर्गंधित कचरा हो। इन माध्यमों में वो सब कुछ है जो विश्व बैंक ,विश्व व्यपार संगठन,अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और 'यूरो-पोंड-डालर ' के कर्ता-धर्ताओं को सुहाता हो। भारत के तथाकथित मुख्य धारा के मीडिया को भी शायद वेनेज़ुएला ,के आम चुनाव से ज्यादा मिस्टर ओबामा और मिस्टर मिट रोमनी के बीच चल रही आगामी इलेक्ट्रोरल प्रक्रिया में ज्यादा अभिरुचि है और इस सन्दर्भ में भारत का प्रिंट,दृश्य,श्रव्य मीडिया वास्तव में तेजी से अधोगति की ओर अग्रसर है।
किस हिरोइन ने किस हीरो से डेटिंग की कौन कहाँ अपनी ऐसी-तैसी करवा रहा है, कितने बलात्कार,कितनी हत्याएं और कितने महा भ्रष्ट्र हैं हम भारत के जन -गण इसे पूरे आठ पेज में छपने का गौरव हासिल है किन्तु वेनेज़ुएला में ह्यूगो शावेज तीसरी बार शानदार चुनाव जीते वो भी अमेरिकी हथकंडों और वैश्विक पूंजीवादी ताकतों के खिलाफ इसे छापने ,प्रकाशित करने की ,इस पर समीक्षा करने की किसी भी संपादक,एंकर या खबर नाबीस को फुर्सत नहीं मिली। क्यों? क्योंकि ये खबर मीडिया मालिकों में दहशत पैदा करती है।उनके विदेशी निवेशक आकाओं और देशी प्रभु वर्ग को असहज करती प्रतीत होती है।क्योंकि ये खबर कि ' वेनेजुएला में कामरेड ह्यूगो शावेज तीसरी बार भारी बहुमत से जीते' वर्तमान सड़ी गली व्यवस्था को ललकारती प्रतीत होती हैं।
वेनेज़ुएला के वर्तमान राष्ट्रपति कॉम ह्यूगो शावेज विगत 8 अक्तूबर-2012 को पुन:तीसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए।वे "21 वीं शताब्दी का समाजवाद"परियोजना को आगे बढाने का जनादेश हासिल करने में सफल रहे। जैसा कि सुविदित है की कॉम शावेज ने वेनेज़ुएला में तमाम राष्ट्रीय संपदाओं और उद्द्य्मो का राष्ट्रीयकरण पहले ही कर दिया है। दुनिया के तेल उत्पादक देशों में वेनेज़ुएला का स्थान अग्रिम पंक्ति में है।उस पर अमेरिका समेत पूरे पूंजीवादी मुनाफाखोरों की टेडी नज़र बनी हुई है। इस चुनाव में कॉम ह्यूगो शावेज को 54.42% वोट मिले है।नेशनल इलेक्ट्रोरल कौंसिल के अनुसार शावेज के प्रतिद्वंदी -डेमोक्रेटिक यूनिटी रौंड़ताब्ले गठबंधन को मात्र 40%और अन्य को दहाई के अंक तक पहुचने में असफलता हाथ लगी वेनेज़ुएला के 1.10 करोड़ मतदाताओं में से 90% ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
पांच घरेलु निरीक्षण समूह और कई अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण एजेंसियों की निगरानी में ये चुनाव सम्पन्न किये गए। इन सभी ने और खास तौर से यु एन ओ के निरीक्षकों ने बड़े बेमन से अपना बोरिया बिस्तर बांधकर 'काराकस' छोड़ा . हुगो शावेज ने इस एतिहासिक हेट्रिक जीत का श्रेय महान स्वाधीनता सेनानी ' साइमन बोलिबार' को समर्पित किया। कॉम ह्यूगो शावेज विगत 14 वर्ष से वेनेजुएला के राष्ट्रपति है और उन्होंने अपने कार्यकाल में न केवल वेनेज़ुएला का बल्कि विश्व के तमाम निर्धन ,अविकसित और आर्थिक संकट से जूझ रहे राष्ट्रों का पथ प्रदर्शन किया है।वे आधुनिक विश्व में विश्व सर्वहारा के वास्तविक हीरो हैं।
उनकी महाविजय पर दुनिया के मेहनतकशों में शोषण उत्पीडन के खिलाफ संघर्ष की चेतना का संचार हुआ है। विश्व में आज पूंजीवादी व्यवस्था अपने चरम पर है और इस व्यवस्था में महंगाई,बेरोजगारी,नाइंसाफी,असमानता लूट और भयानक भृष्टाचार का सर्वत्र बोलबाला है। इस व्यवस्था को ख़त्म किया जा सकता है और विश्व को एक वैकल्पिक व्यवस्था का शानदार माडल उपलब्ध है ,वेनेजुएला के रूप में।कामरेड ह्यूगो शावेज के नेतृत्व में।
श्रीराम तिवारी
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