एक -सितम्बर १९३९को द्वितीय महायुद्ध प्रारंभ हुआ तब से लेकर हिरोशिमा -नागासाकी पर हुए बम -जनित विभीषिका {६अगस्त-९अगस्त -१९४५} तक जितना नरसंहार हुआ वह "भूतो न भविष्यति" माना गया है ।
तत्कालीन जान -माल के नुकसान का असर आज भी दुनिया पर देखा जा सकता है .बिध्वंशकअणुबमों के दुष्प्रभाव को कुछ लोग आज भी भुगत रहे हैं ।
विश्व शान्ति आन्दोलन तथा आम जनता के दवाव के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तीसरा महायुद्ध अभी तक तो नहीं हो सका लेकिन छोटे -मोटे विवाद 'आतंकी हमलों एवं पृथक सभ्यताओं के संघर्षों के कारण कुल मिलाकरकिसी विश्वयुद्ध से भी ज्यादा मानव हानि तथा संपत्ति का नुक्सान हुआ है ।
अधिकांश वीभत्स घटनाओं के पीछे साम्राज्यवादी नीतियों तथा नाटो देशों को आपूर्ति करने वाले घातक हथियार निर्माता कारपोरेट लाबी का हाथ रहा है .आज दुनिया भर में हथियारों के अम्बार लगते जारहे हैं ;जिसमें पारंपरिक ;आणविक रासायनिक एवं नाभकीय हथियार भी शामिल हैं .दुनिया का स्वयम्भू नम्बरदार तो नाभकीय हथियारों के माध्यम से तीनो लोकों अर्थात धरती -आकाश और महासागरों पर कब्ज़ा कर चूका है .अमेरिका रूस चीन में से हरेक के पास इतने हथियार हैं की इस धरती को कई बार नष्ट करने में सक्षम हैं .ऐसे हथियारों का उत्पादन घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है .अब इस संहारक क्षमता की रेंज में छोटे -मोटे गरीब गुरवे और भिखमंगे देश भी शामिल होते जा रहे हैं .इस घृणास्पद मुक्त होड़ के कारण कई देश तो भारी कर्ज के बोझ से पिस
रहे हैं .एक तरफ हथियारों पर अंधाधुन्द खर्च बढ़ता जा रहा है .दूसरी ओर भुखमरी ;गरीबी ;बेरोजगारी ;बीमारी और अशांति बढ़ रही है .आर्थिक असमानता बढ़ रही है .एक तरफ तो दौलत के अम्बार लग रहे हैं दूसरी ओर देश और दुनिया में गरीबों की संख्या बेतहासा बढ़ रही है .आतंकवाद ;अलगाववाद ;जातिवाद और बाजारवाद का बोलवाला है .कई निर्दोषों की जाने तो सिर्फ किसी एक व्यक्ति की चूक या व्यवस्था की गफलत से ही चली गई .
हमारा देश भी इन समस्याओं से दो-चार हो रहा है । विगत दो दशकों में देश की अपार संपत्ति को नुकसान हुआ और लाखों जाने गईं .अखिल भारतीय शान्ति एवं एकजुटता संघठन .के तत्वाधान में विगत कुछ सालों से एक सितम्बर को मानव श्रंखला के तहत युध्य विरोधी दिवस मनाया जाता है ।
इस अवसर पर पोस्टर पम्फलेट वाल पेंटिग्स तथा स्लोगन्स के माध्यम से संकल्प व्यक्त किया जाता है की सभी प्रकार के हथियारों पर रोक लगाईं जावे ;जो परमाणविक हथियार तैयार हैं उन्हें नष्ट किया जाए .सैन्य खर्चों में कटौती की जाए ;मानव संसाधन एवं जन- कल्याण के बजट में पर्याप्त बृद्धि की जाए ;रोजगार के अवसरों को युवाओं के लिए तस्दीक किया जाए .भुखमरी दूर हो -आर्थिक असमानता मिटे -सबको विकाश के सामान अवसर उपलब्ध होवें एवं धरती पर मानव सभ्यता शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के साथ सभी भेदभाव दूर करे ।
Tiwari ji ka lekh aaj ke sandarbh me bahut hi pranshneey hai. Vibhinn desho ki parmanu pratispardha is jahan ko ant ki ore hi le ja rahi hai, ise rokna hi hum sabhi ke hit me hai. Lekhak ko sadhuwad....... Yeshwant Kaushik
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