मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है
इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
शनिवार, 16 नवंबर 2024
हम वो आखिरी पीढ़ी हैं
आजाद भारत के हिंदू सहिष्णुता का दंड भोग रहे हैं :-
काश मेरे पास भी कोई अकादमिक -साहित्यिक सम्मान पदक होता ! यदि राष्ट्रीय -अंतराष्ट्रीय किसी भी किस्म का कोई सम्मान पदक या साहित्यिक ,सामाजिक ,आर्थिक- वैज्ञानिक क्षेत्र में कोई विशिष्ठ उपलब्धि या 'सनद' मेरे पास होती ,तो कश्मीर में हो रहे आतंकी हमलों के निमित्त, मैं ततकाल सारे सम्मान वापिस लौटा देता। पता नहीं मेरा यह अहिंसक कदम अहमक कहा जाता या प्रगतिशील कहा जाता !
राजनैतिक ध्रवीकरण में हिन्दुत्ववादी
क्या आईएसआईएस,तालिवान,अलकायदा हमास,बोकोहराम्,जमात-उद-दावा,हक्कानी ग्रुप की तुलना में भारत के किसी भी हिन्दू - साम्प्रदायिक संगठन से नही की जा सकती है ? क्या भारत में इन वैश्विक आदमखोरों से भी ज्यादा असहिष्णुता है ? नहीं ! कदापि नहीं !
अस्ताचलगामी पूर्णचंद्र*!
आज प्रातः 05.30 पर इंदौर नगर की एक सुनसान स्ट्रीट पर एक अकेला मैं और मेरे 'सिर की चांद' पर कार्तिक पूर्णिमा का थका हुआ *अस्ताचलगामी पूर्णचंद्र*!