रविवार, 14 अप्रैल 2024

चुनाव प्रचार फीका नजर आता है।

 आजकल सिद्धांत विहीन नेताओं का झुण्ड,

सडकों गलियों बाजारों से शांत गुजर जाता है।

पांच साल गायब रहने वाला सांसद भी अब,
वोट के लिये धूप में सड़कों पर नजर आता है।।

बसंतोत्तर पतझड़ और सुबह का रक्तवर्णी दृश्य,
चुनाव प्रचार के समक्ष अब फीका नजर आता है।

बंगाल में सैमल पलाश कचनार मानो ऊब गये,
ममता का शासन अब रक्तरंजित नजर आता है।।

उमड़ रही भीड़ गावों,कस्बों,शहरों,होटलों में,
समस्त राजनीतिक वर्ग आक्रांत नजर आता है!

सड़कों पर ट्रेफिक जाम करती मजहबी भीड़,
कभी कभी तो मौत का मंजर नजर आता है!!

फिजाओं में अलश उमस बेमौसम बरसात ऐंसी,
फूल पत्ते तितलियों पर कहकशां नजर जाता है!

दिन हो या रात सुबह हो या शाम हर नागरिक को,
खयालों में सिर्फ एक नेता का चेहरा नजर आता है।।
:-श्रीराम तिवारी
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