गुरुवार, 6 जून 2019

कर्तव्यों के ही गीत सराहे जाते हैं।।

धीरोदात्त चरित्र का सिंहनाद जब होता,
तो जग के सारे दुष्ट अन्यायी थर्राते हैं।
समरसता भ्रातृत्व भाव के नूतन शब्द,
सदा समरांगण में क्रांतिदूत बन जाते हैं ।।
म्रत्युंजयी हो जाती नरमेदिनीे हुँकार तभी,
जब कुछ मानव ही दानव बन जाते हैं ।
जन महानाद संगीत कला साहित्य सभी,
सृजन के ठाँव नये नये नित बसते जाते हैं!!
'सत्यमेव जयते' का हो शाश्वत मंत्र सदा
तो इंकलाब के नारे भी प्रेरक बन जाते हैं ।
हक सबको है जीने का इस दुनिया में,
किंतु कर्तव्यों के ही गीत सराहे जाते हैं।।

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