बोनी की वेला में जो देर करे मानसून,
निर्धन किसान मन शोक उपजावै है!
निर्धन किसान मन शोक उपजावै है!
बंगालकी खाड़ीसे न आगे आवें इंद्रदेव,
बानियां बक्काल दाम दुगने बढ़ावै है!!
बानियां बक्काल दाम दुगने बढ़ावै है!!
वक्त पै बरस जाएं खूब मानसूनी बदरा,
तो दादुरों की धुनि पै धरनि हरषावे है!
तो दादुरों की धुनि पै धरनि हरषावे है!
कारी घटा घिर आये,खेतों में बरस जाए,
सारंग की धुनि संग सारंग भी गावै है!!
सारंग की धुनि संग सारंग भी गावै है!!
बोनी की बेला में जो देर करे मानसून ,
निर्धन किसान मन शोक उपजावे है !
निर्धन किसान मन शोक उपजावे है !
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