बुद्धि बल पौरुष और सत्ता यदि,
किसी कमजोर के काम आ जाये ।
किसी कमजोर के काम आ जाये ।
स्वस्थ्य जवानी किसी सफेदपोश की
यदि सीमाओं पर बल-पौरुष दिखलाये ।।
यदि सीमाओं पर बल-पौरुष दिखलाये ।।
सत्य-न्याय के लिये महासमर में घोष,
और क्रांति का गीत अमर गाया जाये!
और क्रांति का गीत अमर गाया जाये!
कृषकाय किसान खेतों को देकर अपना,
सपना तन मन यौवन श्रम स्वेद बहाए ।।
सपना तन मन यौवन श्रम स्वेद बहाए ।।
हो जीवन यापन के संघर्षों में मरुथल,
तब भी उसका पथ विचलन न हो पाए ।
तब भी उसका पथ विचलन न हो पाए ।
महालालची भृष्ट व्यवस्था मृगतृष्णा का
कोई जनकवि कभीकहीं न पुर्जा बनजाए ।।
कोई जनकवि कभीकहीं न पुर्जा बनजाए ।।
वर्गचेतना बिना असंभव सर्वहारा क्रांति,
मेरा हर शब्द उसका उदयगान बन जाये!
मेरा हर शब्द उसका उदयगान बन जाये!
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