शुक्रवार, 25 जून 2010

आशियाँ होगा ज़रूर .


आज तो है रात काली ;कल सुबह होगी ज़रूर .ईश का क्या दोष इसमें ;कुछ हमारा भी कसूर ।
हरतरफ मातम यहाँ आज क्यों पसरा हुआ .स्वाधीनता के स्वप्न क्यों हो गए सब चूर चूर ।

मुश्किलों का सामना कल तक तो मिलकर ही किया;आज फिर क्यों एकता कोसों हुई है दूर दूर ।
ज़ुल्मतों के दौर को खाद पानी दे रहे ;अमराइयां सूनी पडी ,आसमान छूते खजूर ।
निर्धनों की बस्तियों में आफतों के जलजले ;धर्म के कानों भनक ;थोरी तो होगी ज़रूर ।
आज तो है तंगहाली फान्ककस्ती की फिजा ;कल किसी भी भोर में ,किलकारियां होंगी जरुर ।
मुश्किलों का सामना करते हुए आगे बढ़ो ;कल किसी भी मोड़ पर आशियाँ होगा जरुर ।

1 टिप्पणी:

  1. Tha jhopadi me veeran andhera, mahalon se izazat lekar nikli hai roshni, jhopadi me rahkar sochta tha asman ki, har gareeb insan apni manzil paega zaroor.....Sudhir Dutt Sharma (Jai Shiv)

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