गुरुवार, 24 जून 2010

आनर किलिंग का दूसरा पक्ष


आनर किलिंग पर लाइव इंडिया में डा प्रवीण तिवारी का प्रायोजित कार्यक्रम देखा .सभी सहभागियों ने एक स्वर में खाप पंचायतों के संविधानेतर सत्ता केंद्र बन जाने पर आपत्ति जताई .उधर मर्डर करने वालों ने भी बहादुरी ?से स्वीकार किया की हाँ हमने अपने कुटुंब के सम्मान की रक्षार्थ ऐंसा किया .भारत के महान्ययाबदी से लेकर अदना सा सामाजिक कार्यकर्त्ता और उधर पूरा का पूरा श्रव्य द्रश्य छप्या मीडिया गिरमा तोड़कर इस कुव्यवस्था ?पर प्रहार कर रहा है .मानो एक सकरात्मक क्रांति का आगाज़ बस होने ही जा रहा है.मेरा इन सभी व्यक्तियों संस्थाओं से अनुरोध है की दो प्रश्नों का संवैधानिक जबाब दें की यदि किसी परिवार की जवान लड़की को गुमराह कर कोई भगा कर ले जाए और वह रसूखदार हो पुलिश कानून पीड़ितों का उपहास करें तो भी क्या चुपचाप अन्याय सहना होगा .दूसरा सवाल की जो लोग अपने बेटा बेटियों को अपनी मन मर्जी से नैतिक अनितिक आचरण की छुट दें उनके सामाजिक बहिष्कार हो जाने के उपरांत शेष बच्चों के विवाह इत्यादि का संकट आने पर कोई बोध्धिकता काम नहीं आती .दूसरी और आनर किलिंग के दोषियों को सर पे बिठाने के लिए अनेक मिल जायेंगे .इस दिशा में सामाजिक संरक्ष्ण हेतु सत्ता प्र्तष्ठ्नो को आगे आना चाहिए .

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