बुधवार, 11 जून 2025

'जियत मरत झुकि-झुकि परत'

 "अमिय हलाहल  मद भरे ,श्वेत स्याम रतनार। 

जियत मरत झुकि-झुकि परत,जेहिं चितवत इक बार।।"


रीतिकालीन कवि:- रसलीन 

  

रविवार, 8 जून 2025

जननी जन्मभूमिश्च................

 "अपि स्वर्णमयी  लंका न मे लक्ष्मण रोचते !

जननी जन्मभूमिश्च  स्वर्गादपि गरीयसी !!"