सोमवार, 30 सितंबर 2019

पाकिस्तान रुपी अंधकूप में भारत विरोध की भाँग घुली है।

भारत की अपनी घरेलू ढेरों ज्वलंत समस्याएं हैं! बेरोजगारी,आर्थिक मंदी,सब्जी-प्याज, डीजल-पैट्रोल की मेंहगाई और सार्वजनिक उपक्रमों पर घाटे का संकट छा रहा है!किंतु भारत सरकार इन कामों को छोड़कर मोदी जी के विश्व विजय-दिग्विजय अभियान के गीत गा रही है! सवाल है कि भारतीय शासकों को यह स्वर्णिम अवसर किसने उपलब्ध कराया?
इसका उत्तर इस तरह दिया जा सकता है कि भारत के प्रति पाकिस्तानी हुक्मरानों का निरंतर शत्रुतापूर्ण व्यवहार और इस्लामिक आतंकियों द्वारा पाकिस्तान एवं कश्मीर में हिंदुओं का कत्लेआम तथा हिंदू लड़कियों का चीरहरण-इत्यादि कारणों से भारत के कट्टरपंथी हिंदुओं का जनाधार निरंतर बढ़ता ही चला गया!वे प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लंबे समय के लिये प्रत्ष्ठित हो चुके हैं! अब भारत में बचे खुचे विपक्ष को और खासतौर से वामपंथ को अपने वैचारिक 'कंसर्न' और 'एरिया ऑफ फोकस' पर पुनर्विचार करना ही होगा! वरना दस साल के लिये फुर्सत!
भारत के प्रति पाकिस्तानी फौज और ISI की दुर्भावना किसी से छिपी नहीं है!दुनिया के तमाम अमनपसन्द लोग पाकिस्तान की इस नापाक नीति नियत से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन दुनिया में बहुत कम लोग हैं जो पाकिस्तानी दहशतगर्दी के खिलाफ बोलने और भारतकी न्यायप्रियता के पक्ष में खड़े होनेका माद्दा रखते हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान रुपी पूरे अंधकूप में ही भारत विरोध की भाँग घुली है।
पाकिस्तान के साहित्यकार,कलाकार और बुद्धिजीवी या तो कायर हैं या सब नकली हैं। यदि वे ज़रा भी रोशनख्याल होते तो अपनी ही 'नापाक' फ़ौज द्वारा बलूच लोगों पर किये जा रहे जुल्म के खिलाफ अवश्य बोलते !
पाकिस्तानी पत्रकार,लेखक,संगीतकार,कवि -कलाकार और गायक सबके सब मुशीका लगाए बैठे हैं। पीओके व गिलगित में हो रहे फौजी अत्याचार के खिलाफ,पाकिस्तान में गिने-चुने शेष बचे हिंदुओं पर हो रहे निक्रष्ट अत्याचार के खिलाफ और अल्पसंख्यकों के खिलाफ कट्टरपंथी आतंकियों की हिंसा पर पाकिस्तानी आवाम की चुप्पी खतरनाक है।
पाकपरस्त आतंकियों ने भारत को 70 साल से लहूलुहान कर रखा है,क्या पाकिस्तान और भारत के वुद्धिजीवियोँ को नहीँ मालूम कि इसका नतीजा क्या होगा ? इधर भारत का विपक्ष केवल मोदी विरोध में तल्लीन है!उधर पाकिस्तानी विपक्ष इमरान को गाली दे रहा है!जबकि झगड़े की असल जड़ है,इस्लामिक आतंकवाद! उस पर भारत और पाकिस्तान के बुद्धिजीवी मौन हैं!

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