हर शख्स परेशां है हर तरफ भीड़ में अपनी ही तन्हाई से !
पीपल पात की मानिंद थरथराते हैं खुद पवन पुरवाई से!!
यदि दिल दिमाग के कुछ हिस्से को कर दें बुराइयों से महरूम,
रिक्त स्थान को सृजनात्मकता भर देगी तुरन्त अच्छाई से !
झूँठे जुमले वादों से तो बेहतर है कि मदद से इंकार कर दें,
सच्चा जन सेवक वो जो सबके काम करे बहुत चतुराई से !!
जिन्दा दिल ही जान सकता है मोहब्बत के पोशीदा उसूल,
और गम किसे नहीं होता जिंदगी में अपनों की बेबफाई से!
ठोकरें ही दिशा निर्देशन करतीं हैं हरदम अनदेखी राहों का.
कारवां बढ़ा करते हैं तूफानों में खुद की हौसला आफजाई से !!
प्रयाण करता है पथिक कोई जब अगम पथ पर निष्काम ,
छट जाता है सब अँधेरा अज्ञान का खुदा की रोशनाई से !!
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