यदि अचानक कभी, आपका किसी दैवी शक्ति से अर्थात ब्रह्म तत्व से साक्षात्कार हो जाए,और वो परा शक्ति आपसे मन वांछित वरदान मॉंगने को कहे तो आप क्या वरदान मांगेंगे ?
आपकी सुविधा के लिए मैं यहाँ कुछ अपनी च्वाइस बता देता हूँ !
पहला वर :-हे प्रभु ! यदि बाकई पुनर्जन्म होता है,तो मेरा हर जन्म भारत भूमिपर ही हो और जिस घर में जन्म हो वहाँ भगतसिंह के आदर्शों का सम्मान हो !
दूसरा वर :-जो लोग भारत में पैदा हुए ,यहाँ की खाते हैं ,यही जिनकी मातृभूमि है ,वे सभी अपने धर्म मजहब से ऊपर भारत देश को ही अव्वल माने !प्रभु !
तीसरा वर :-जो दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी तत्व पूँजीपतियों की चरण वंदना करते हैं,मजदूरों,किसानों और वामपंथ को गाली देते हैं,उन्हें सद्बुद्धि दो प्रभु !
चौथा वर :-जो लोग भारत के मुसलमानों को भारत के खिलाफ भड़काते हैं ,भारत की बर्बादी के सपने देखते हैं ,उन दुष्टों का सत्यानाश हो प्रभु !
पाँचवाँ वर :-जो लोग स्वयंभू देशभक्त हैं ,वे भारत के सभी मुसलमानों पर संदेह न करें हैं,उन्हें आतंकी न समझें , हे ईश्वर उन्हें सही दॄष्टि प्रदान करो !
१८ जून २०१७ इंग्लैंड मे आई सी सी चैम्पियनशिप के फाइनल में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम जीत गई और भारतीय टीम हार गई। चूँकि हार जीत अधिकाँस खेलों का अहम हिस्सा है ,इसलिए जब दो टीमें आमने सामने हों तो कोई एक तो अव्वल होगी ही !और फाइनल हारने वाली दूजे पायदान पर ही होगी। इसमें आश्चर्य और अनर्थ जैसा क्या है ? हालाँकि किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच के फाइनल में पहुँचना भी कम गर्व की बात नहीं और हारना भी उतना बुरा नहीं !लेकिन जब मामला भारत विरुद्ध पाकिस्तान का हो तो खेल भावना की ऐंसी-तैंसी हो जाती है। तब दोनों मुल्कों में छद्म राष्ट्रवाद उभरकर गंदे बदबूदार परनाले की तरह खदबदाने लगता है। वेशक किसी अति सम्मानित टीम का नाक आउट या सेमीफाइनल में हारकर घर लौटना अवश्य शर्मनाक है। किन्तु इतने सारे दिग्गजों को हराने के बाद किसी खास देश की टीम से आख़िरी में हार जाना किसी को गवारा नहीं। जबकि फाइनल हारने वाला खुद उस विजेता टीम को पहले ही राउंड में बुरी तरह निपटा चुके हो !सांत्वना एवं संतुष्टि सिद्धांत के अनुसार भारतीय टीम की हार को शर्मनाक हार कहना गलत है। बल्कि उसे काबिले तारीफ हार कहा जाना चाहिए !
भारत और पाकिस्तान के नादान क्रिकेट प्रेमियों ने 'पुरुष क्रिकेट' के खेल में अंधराष्ट्रवाद घुसेड़कर खेल को युद्ध बना डाला है। गनीमत है कि महिला क्रिकेट में उतना उद्दाम राष्ट्रवाद नहीं पनपा है ! जो लोग अंधराष्ट्रवादी हैं उनके लिए अपने देश की टीम का किसी गैर मुल्क की टीम से हार जाना नाक़ाबिले बर्दास्त होता है। हार जाने पर ऐंसे लोगों का दुखी होना तो स्वाभाविक है। किन्तु जो लोग प्रतिद्व्न्दी या दुश्मन देश के खैरख्वाह हैं उन्हें अपने ही मुल्क की हार से आनंद मिलता है इसकी वजह क्या ? यह कौनसी खेल भावना है कि अपने खिलाड़ी पिटे तो खुश और पड़ोसी के बाइचांस जीत गए तो मन में लड्डू फूटे?
जब जब भारत- पाकिस्तान फाइनल में पहुँचते हैं ,तब तब उनके क्रिकेट समर्थक अपनी -अपने टीमों की जीत के दावे करने लगते हैं । जहाँ पाकिस्तान के भूतपूर्व दिग्गज खिलाड़ी अपनी ही टीम को कमजोर बताते हैं ,अपने कप्तान को नौसीखिया बताते हैं और पाकिस्तानी मीडिया भी उनकी अपनी टीम की जीत के प्रति अधिक आशान्वित नहीं रहता ! वहीं भारत के तमाम क्रिकेट मैनेजर्स और समर्थक बड़ी हेकड़ी से भारतीय टीम को बाबुलंद,अपने खिलाडियों को शेर और पाकिस्तानी टीम को चूहा सिद्ध करने में जुटे जाते हैं। सट्टे वाले भी भारतीय टीम की जीत के पक्ष में ज्यादा दाँव लगते हैं। लेकिन भारतीय टीम तभी जीतती है जब पाकिस्तानी टीम कमजोर और हताश हो जाती है। अन्यथा पूजा पाठ ,यज्ञ ,आहुति और 'मौका मौका ' के निर्र्र्थक नारे काम नहीं आते !
कबीरा गर्व न कीजिये ,कबहुँ न हँसिये कोय।
अबहुँ नाव मझधार में ,का जाने का होय।।
आपकी सुविधा के लिए मैं यहाँ कुछ अपनी च्वाइस बता देता हूँ !
पहला वर :-हे प्रभु ! यदि बाकई पुनर्जन्म होता है,तो मेरा हर जन्म भारत भूमिपर ही हो और जिस घर में जन्म हो वहाँ भगतसिंह के आदर्शों का सम्मान हो !
दूसरा वर :-जो लोग भारत में पैदा हुए ,यहाँ की खाते हैं ,यही जिनकी मातृभूमि है ,वे सभी अपने धर्म मजहब से ऊपर भारत देश को ही अव्वल माने !प्रभु !
तीसरा वर :-जो दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी तत्व पूँजीपतियों की चरण वंदना करते हैं,मजदूरों,किसानों और वामपंथ को गाली देते हैं,उन्हें सद्बुद्धि दो प्रभु !
चौथा वर :-जो लोग भारत के मुसलमानों को भारत के खिलाफ भड़काते हैं ,भारत की बर्बादी के सपने देखते हैं ,उन दुष्टों का सत्यानाश हो प्रभु !
पाँचवाँ वर :-जो लोग स्वयंभू देशभक्त हैं ,वे भारत के सभी मुसलमानों पर संदेह न करें हैं,उन्हें आतंकी न समझें , हे ईश्वर उन्हें सही दॄष्टि प्रदान करो !
१८ जून २०१७ इंग्लैंड मे आई सी सी चैम्पियनशिप के फाइनल में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम जीत गई और भारतीय टीम हार गई। चूँकि हार जीत अधिकाँस खेलों का अहम हिस्सा है ,इसलिए जब दो टीमें आमने सामने हों तो कोई एक तो अव्वल होगी ही !और फाइनल हारने वाली दूजे पायदान पर ही होगी। इसमें आश्चर्य और अनर्थ जैसा क्या है ? हालाँकि किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच के फाइनल में पहुँचना भी कम गर्व की बात नहीं और हारना भी उतना बुरा नहीं !लेकिन जब मामला भारत विरुद्ध पाकिस्तान का हो तो खेल भावना की ऐंसी-तैंसी हो जाती है। तब दोनों मुल्कों में छद्म राष्ट्रवाद उभरकर गंदे बदबूदार परनाले की तरह खदबदाने लगता है। वेशक किसी अति सम्मानित टीम का नाक आउट या सेमीफाइनल में हारकर घर लौटना अवश्य शर्मनाक है। किन्तु इतने सारे दिग्गजों को हराने के बाद किसी खास देश की टीम से आख़िरी में हार जाना किसी को गवारा नहीं। जबकि फाइनल हारने वाला खुद उस विजेता टीम को पहले ही राउंड में बुरी तरह निपटा चुके हो !सांत्वना एवं संतुष्टि सिद्धांत के अनुसार भारतीय टीम की हार को शर्मनाक हार कहना गलत है। बल्कि उसे काबिले तारीफ हार कहा जाना चाहिए !
भारत और पाकिस्तान के नादान क्रिकेट प्रेमियों ने 'पुरुष क्रिकेट' के खेल में अंधराष्ट्रवाद घुसेड़कर खेल को युद्ध बना डाला है। गनीमत है कि महिला क्रिकेट में उतना उद्दाम राष्ट्रवाद नहीं पनपा है ! जो लोग अंधराष्ट्रवादी हैं उनके लिए अपने देश की टीम का किसी गैर मुल्क की टीम से हार जाना नाक़ाबिले बर्दास्त होता है। हार जाने पर ऐंसे लोगों का दुखी होना तो स्वाभाविक है। किन्तु जो लोग प्रतिद्व्न्दी या दुश्मन देश के खैरख्वाह हैं उन्हें अपने ही मुल्क की हार से आनंद मिलता है इसकी वजह क्या ? यह कौनसी खेल भावना है कि अपने खिलाड़ी पिटे तो खुश और पड़ोसी के बाइचांस जीत गए तो मन में लड्डू फूटे?
जब जब भारत- पाकिस्तान फाइनल में पहुँचते हैं ,तब तब उनके क्रिकेट समर्थक अपनी -अपने टीमों की जीत के दावे करने लगते हैं । जहाँ पाकिस्तान के भूतपूर्व दिग्गज खिलाड़ी अपनी ही टीम को कमजोर बताते हैं ,अपने कप्तान को नौसीखिया बताते हैं और पाकिस्तानी मीडिया भी उनकी अपनी टीम की जीत के प्रति अधिक आशान्वित नहीं रहता ! वहीं भारत के तमाम क्रिकेट मैनेजर्स और समर्थक बड़ी हेकड़ी से भारतीय टीम को बाबुलंद,अपने खिलाडियों को शेर और पाकिस्तानी टीम को चूहा सिद्ध करने में जुटे जाते हैं। सट्टे वाले भी भारतीय टीम की जीत के पक्ष में ज्यादा दाँव लगते हैं। लेकिन भारतीय टीम तभी जीतती है जब पाकिस्तानी टीम कमजोर और हताश हो जाती है। अन्यथा पूजा पाठ ,यज्ञ ,आहुति और 'मौका मौका ' के निर्र्र्थक नारे काम नहीं आते !
कबीरा गर्व न कीजिये ,कबहुँ न हँसिये कोय।
अबहुँ नाव मझधार में ,का जाने का होय।।
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