जो निश्च्छल निडर,सत्यनिष्ठ और सच्चे सनातनी हैं, वे नर - नारी आदरणीय अनिरुद्ध आचार्य जी से सहमत होंगे।क्योंकि अनिरुद्ध आचार्य जी ने हिंदू समाज के लड़के और लड़की दोनों के बारे बोला है । लेकिन ये हमारे हिन्दू समाज की विडम्बना है कि सज्जन संतों महंतों द्वारा कथा बाचन के दौरान जो सही बात कही जाती है,उसे चालाक और धूर्त नर - नारी तोड़ मरोड़ कर सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं।
अनिरुद्ध आचार्य जी के कथन में जो कटू सत्य कहा गया है, वह अपवित्र मानसिकता के शिकार असामाजिक तत्वो को रास नहीं आ रहा है। इस संदर्भ में असलियत न तो उन्मुक्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने दिखाई और न किसी छप्य मीडिया ने। जबकि हकीकत यह है कि किसी भी कथा बाचक या आचार्य ने यह कभी नहीं बोला कि 100 में 100 लड़किंया गलत हैं । दरसल हिन्दू समाज की सुसभ्य सुशील और सत्यनिष्ठ युवतियों को आचार्य अनिरुद्ध से कोई शिकायत नही है। किंतु हिंदी मीडिया की चंद सनातन संस्कृति विरोधी वारांगनाएं अवश्य आचार्य अनिरुद्ध पर कुपित हैं ।
सनातन संस्कृति विरोधी उन्मुक्त युवक युवतियों को ज्ञात हो कि इंदौर की नवविवाहिता सोनम ने हनीमून के बहाने शिलांग ले जाकर अपने पति राजा रघुवंशी को अपने प्रेमी के साथ मिलकर षडयंत्र करके मार डाला। घटिया फिल्मों, समाज बिरोधी तत्वों और ढपोरशंखी मीडिया के कुप्रभाव से भारतीय समाज में राजा रघुवंशी मर्डर जैसी घटनाओं की बाढ़ आ गई है।सोनम जैसी पति हत्यारनियों से भारतीय जेलों भरी पड़ी हैं।
दरसल आचार्य अनिरुद्ध ने बोला था कि 100 में से 95 युवतियां और युवक मर्यादित हैं। यह कटु सत्य है,जो हम सबको पता है तथा सारी दुनिया को भी पता है । लेकिन सत्य हमेशा बुरे बक्त में सो जाया करता है। केवल झूठ फरेब, कदाचार जाग्रत रहता है।हमेशा की तरह सनातन धर्म को टारगेट किया जा रहा है ।किसी भी विदुषी महिला या पत्रकार में इतनी दम नहीं कि हिंसक बर्बर कौमौ के वीभत्स आचरण पर उंगली उठा सके। सनातन बिरोधी निकृष्ट तत्वों को सनातन समाज के सभ्य आदर्श रास नहीं आते।
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