मंगलवार, 13 नवंबर 2012

 Happy Deepawali.........
      


      देश और दुनिया  के तमाम मेहनतकश मजदूर-किसान,छात्र,नोजवान एकजुट हों।  वर्तमान व्यवस्था को बदलने  और वैकल्पिक  नीतियों को जनता के सामने पेश करें। वर्तमान वैश्विक आर्थिक- सामजिक  व्यवस्था में विज्ञान और प्रौद्दोगिकी की तरक्की  को  नए पंख जरुर  लग गए हैं ,  किन्तु मिडिल क्लास के एक हिस्से ने भृष्टाचार के बेंट बनकर  चंद मुनाफाखोरों और भूमि के भुन्खों को  जो  आसमान पर बिठा दिया  है  उससे असमानता  के कीर्तिमान  खंडित हो चुके हैं।   राष्ट्रों की सकल संपदा  का अधिकांस हिस्सा  कुछ लोगों के आधिपत्य में आ चुका  है, निर्धनता और  घटित क्रयक्षमता  की तादाद अरबों में है। सारी  दुनिया में इस असमानता का प्रभाव कमोवेश एक जैसा है .चीन ,वेनेज़ुएला,क्यूबा  की राह में भी इन ताकतों ने षड्यंत्रों के जाल   विछाने की कोशिश की है किन्तु यह एक सुखद और सकारात्मक स्थिति है की साम्राज्वाद और संघठित पूंजीवाद भी  इन 'क्रांति के दीपों 'को बुझा नहीं सकें हैं। अब उन राष्ट्रीयताओं और  जनगण  की जिम्मेदारी है की न केवल क्रांति की इन मिसालों को बुझने से बचाएं अपितु हर घर में हर खेत में हर देश में  हर 'पवित्र पूजा स्थल' में   इस तरह के अनगिन दीप जलाएं।
       
                       दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!!!
                     
              क्रांतिकारी अभिवादन सहित ,
                                                                  श्रीराम तिवारी।
 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आज लोग भारत मे गोवर्धन पूजा मना रहे हैं और श्री कृष्ण के संबंध मे फैलाई भ्रांतियों के आधार पर उनके व इन्द्र के टकराव के रूप मे कहानियाँ सुना रहे हैं। वस्तुतः श्री कृष्ण ने बाल्यकाल से ही समानता और समृद्धि का समन्वय करने का प्रयास किया था।

    ावों का घी-मक्खन घाटे के साथ शहरों मे जाना रोकने हेतु दही व मक्खन की हांडियों को अपनी बाल्य-टोली के साथ फोड़ना प्रारम्भ किया था। शासन मे आने पर उन्होने गो-वंश के विकास हेतु 'गो-संवर्धन' प्रयोगशाला (लेबॉरेटरी)स्थापित कराई थी जिसे आज लोग गोवर्धन कह कर पाखंड पूजते हैं। लेकिन गाये सड़कों पर पोलीथीन खाती फिरती हैं उनके भोजन व विकास की चिंता नहीं करते। स्वांगबाजी का सीधा लाभ पुरोहितों/व्यापारियों को होता है आम जनता ठगी जाती है। आज श्री कृष्ण के चरित्र को समझने और अनुकरण करने की महती आवश्यकता है।
    http://krantiswar.blogspot.in/2012/08/blog-post_9.html

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  2. aapki pratikria bahut dino se apekshit thi. krishn ke baare men itnaa jarur jaanta hun ki unka 'janaardan' naam volshevik ya proteriat se milta julta hai....

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