ऋषि कश्यप,बृहस्पति,वामन अवतार, शुक्राचार्य, गर्ग,गौतम,शांडिल्य,उद्दालक,श्वेतकेतु,कपिलमुनि,भृगू,अंगिरा,भारद्वाज,कण्व,याज्ञ्यवलक्य,वेद व्यास शुकदेव,बादरायण,पाणिनि,पतंजलि,महान सम्राट पुष्यमित्र शुंग* ऋषि शौनक,सायणाचार्य, स्वामी महीधराचार्य,मध्वाचार्य,आदि शंकराचार्य, समर्थ रामदास,सम्राट दाहिरसेन और उनकी वीरांगना पुत्रियां, महान रानी झांसी,पेशवा बाजीराव,मंगल पांडे,चंद्रशेखर आजाद (तिवारी), पंडित रामप्रसाद बिस्मिल,पंडित मदनमोहन मालवीय,पंडित कैलाश नाथ काटजू गोविन्दवल्लभ पंत, करपात्री जी महाराज और सनातन धर्म की रक्षा करने वाले,अन्य अनगिनत ब्राह्मण शहीद बलिदानियों- 'महान पूर्वजों' पर गर्व करने के बजाय पता नहीं कब किसने अकेले 'भगवान परशुराम'को ब्राह्मणों का एकमेव आईकान याने प्रमुख आराध्य बना दिया? ज्ञातव्य है कि भगवान परशुराम की मां रेणुका एक क्षत्रिय कन्या थी ।और भगवान परशुराम के मामा ऋषि विश्वामित्र (क्षत्रिय)थे। वास्तव में परशुराम जी में ब्राह्मणत्व कम और क्षत्रिय गुण अधिक था। जबकि दैत्यराज बलि से तीन पग धरती दान में मांगने वाले भगवान ने पहले वामन (ब्राह्मण) फिर विराट रुप धारण कर अपने भक्त राजा बलि से इंद्रासन क्षीनकर देवराज इन्द्र को वापिस दिलाया।
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