इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 5 मार्च 2020
नयी सुबह आती
हरएक स्याह रात के बाद नयी सुबह आती है!
जिंदगी का काम है चलना अत: चलती जाती है!!
कोई भोर किसी मुर्गे की बाँग की मुहताज नहीं!
हर दौर में हर सुबह मोहब्बत का पैगाम लाती है!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें