इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
बुधवार, 10 फ़रवरी 2016
आम्र मञ्जरी खिली , रंग फागुन का छाया !
पतझड़ की आहट सुनी ,कोयल कूँकी भोर ।
लता कुँज वन -बाग़ में , मादकता चहुँ ओर।।
मादकता चहुँ ओर ,विकट मनसिज की माया।
आम्र मञ्जरी खिली , रंग फागुन का छाया ।।
मलय पवन मदमस्त ,राग वासंती गाया ।
मादक महुवा संग , भ्रमर ने रास रचाया।।
: श्रीराम तिवारी:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें